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Showing posts from April, 2020

भाप के गुण

 भाप के गुण-    जल के  boiling point से ऊपर राजा भाप होती है बाप को कार्यकारी पदार्थ के रूप में भाप इंजन तथा भरपाई में प्रयोग किया जाता है भाभी इस गुड अति उच्च तापमान तथा नियमित पर आदर्श गैस लेते हैं जैसे होते हैं बाप को वाष्प इंजन तथा भारवाइन में ऐसे दाब का तापमान प्रयोग किया जाता है कि वह आदर्श गैस के नियम लागू नहीं होते हैं और वास्तु को वास्तविक गैस माना जा सकता है राजपूत तापमान पर दाग लगा कराओ मिश्रित किया जा सकता है जबकि गैस गोदाम में किया जा सकता जा सकता है हो सकता है डॉग उबालकर वास्तव में परिवर्तित किया जा सकता है द्रव की सत्ता से वास भवन एक सतत प्रक्रिया है यह किसी भी तापमान पर हो सकता है उबालना व बकरम इस विद्रोह को एक निश्चित उस्मा देकर द्रव का वास्तु अनुसार उचित होना जारी रहता है पानी को स्थित आप पर गर्म करने पर उसके आयतन व तापमान में वृद्धि होती है पानी को गर्म करना जारी रखने पर उबलने लगता है इसको और उसमें देने पर उबलता हुआ पानी वापस हो जाता है पानी के पानी बन जाए पानी का तापमान रहता है तापमान तापमान संस्कृत के समान होता है अर्थात पानी का तापमान बढ़ जाता है या कम हो जाता

सेकंड लॉ ऑफ थर्मोडायनेमिक्स( उस्मा गतिकी का दूसरा नियम)

Second law of thermodynamics-      ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम यांत्रिक कार्य और उस्मान अतुलिता को प्रदर्शित करता है जब एक दूसरे में सूर्य परिवर्तन हो जाता है यह एक प्रकार से ऊष्मा का संरक्षण सिद्धांत को स्वागत के निकाय पर लागू होता है यह नियम केवल यह बताता है कि किसी भी प्रक्रम में ऊर्जा संरक्षित रहती है यह नियम या नहीं बताता कि कोई भी प्रक्रम संभव है या नहीं यदि एक गर्लफ्रेंड को एक ठंडक इनके संपर्क में रखा जाए तो वह यह नियम नहीं बताता है कि उसमें गर्म फील्ड में जा रही है या connecting ठंडे पिंड से गर्म  पिंड में यह नियम यह बताता है कि एक पिंड द्वारा ली गई उसमें दूसरे पिंड द्वारा ली गई उस्मा के बराबर होगी।    ऊष्मागतिकी का दूसरा नियम प्रथम नियम का ही पूरक है उसमें गति के दूसरे नियम के अनुसार उस मां को पूरी तरह से जानती कार्य में परिवर्तित करना असंभव है उस्मा के कुछ भाग को पालन करने के लिए यह आवश्यक है कि उच्च ताप पर शुरू से उस्मा दी जाए इसका कुछ गांव यांत्रिक कार्य में परिवर्तित किया जाए और बाकी भाग निम्न ताप पर सिंह को दे दिया जाए उस्मा का स्रोत सिंह किताबों पर निर्भर करता है कार्यक

कारनाट चक्र(Carnot cycle)

Carnot cycle-     वास्तविक इंजनों में घर्षण आदि के कारण उस्मा हानि होती है कार्नेट ने वास्तविक इग्नू के सभी दोषों से मुक्त इंजनों की सभी दोषों से मुक्त एक ऐसा आदर्श सैद्धांतिक इंजन की रूपरेखा बनाई जिसमें किसी भी प्रकार की उस्मा हानि नहीं होती है कार्नेट का यह आदर्श सैद्धांतिक इंजन कार्नेट इंजन कहलाता है इस इंजन की दक्षता अधिकतम होती है कारना के अनुसार एक आदर्श इंजन की दक्षता ही शत-प्रतिशत नहीं हो सकती कार नाथ इंजन व्यवहारिक नहीं है।  कार  नेट  इंजन के 4 भाग होते हैं।  Cylinder and piston- इंजन के सिलेंडर की दिवारी पूरी तरह से कुचालक होती है इसका आधार पूरी तरह से उस्मा का सुचालक होता है इसमें एक frictionहित तब पूरी तरह से कुचालक piston लगा होता है सिलेंडर में कार्यकारी पदार्थ भरा होता है सिलेंडर के स्तन के ऊपर भार रखा जाता है। Source of heat( उस्मा स्रोत)- उसमें स्रोत एक आप परमिट उस्मा धारिता वाला एक गर्म कुंड होता है जिसका ताप नियत बना रहता है इसमें से चाहे जितनी उर्जा लीजा उस्मा स्रोत का तापमान नहीं बदलता है।  उस्मा सिंक-  यह अपरिमित उस्मा धारिता वाला एक ठंडा पीने होता है उसका

Force and equation

Force-   It may be defined as an agent which produces or tends to produce  , Destroy or tends to distroy the motion of a body.A force while acting on a body may  Change the motion of bady Retarded the motion of body

अदिश व सदिश राशियां

 अदिश राशि- बेरसिया जो केवल परिमाण से व्यक्त होती है अदिश राशियां का लाती है जैसे मात्रा आयतन कार्य दूरी चाल आदि।  सदिश राशियां- वीरा सिया जो परिमाण व दिशा दोनों से व्यक्त होती है सदिश राशियां कराती है जैसे विस्थापन वेग द्वारा बल्ले बल्ले आदि। सदिश राशियां एक दृष्टि से सीधी रेखा से निरूपित की जाती है क्योंकि किसी भी रेखा में परिमाण और दिशा दोनों होते हैं।

Cam and follower⚙️🛠️ केम और फॉलो वर

Cam and followers -    यह उच्च युगलों वाला सरल यंत्र विन्यास है  ।अधिकतर स्थितियों में केम तथा फलवर ,  प्रेम से लगी हुई स्प्रिंग के साथ मिलकर 3 कड़ी यंत्र विन्यास तीन लिंक मेकैनिज्म बनाते हैं केम मशीन प्रेम के साथ घुमाओ युगल तथा फलवर मशीन रेट के साथ सड़क युगल बनाते हैं केम एक निश्चित आकार का घूमने वाला या पश्चात गति करने वाला वह अवयव है lजो दूसरे अवयव भालो वर को सीधे संपर्क से दुल्हनिया पचागद्दी कराता है कैंप सदैव फलोर के स्पर्श में रहता है । त्अधिकतर स्थिति में फलवर का कैंप के साथ रेखी संपर्क होता है। इस संयंत्र विन्यास में टाइम डिस्क या बेलनाकार होती है जबकि अलवर रोलर  जोरदार चपटा मुखी होते हैं उदाहरण मिलिंग मशीन स्वचालित मशीन छपाई की मशीन अंतरगंज मशीन आदि जगह पर प्रयोग किया जाता है।

यंत्र विन्यास

 जब किसी सुध गति चैन की एक कड़ी स्थिर कर दी जाए तो इस चैन को यंत्र विन्यास कहते हैं चार कवियों से बनाया यंत्र विन्यास सरल यंत्र विन्यास का रहता है और जिस यंत्र विन्यास में 4 से अधिक कड़ियां होती है वह योगिक यंत्र विन्यास कहलाता है।            जब किसी यंत्र विन्यास से शक्ति पारेषण या अमुक प्रकार कार्य किया जाता है तो वह मशीन का लाती है        

इस्पात का उस्मा उपचार

 annealing - इस क्रिया में इस बात को 1 घंटे के लिए 727 डिग्री सेल्सियस से 912 डिग्री सेल्सियस के बीच अनिली करण पट्टी अथवा पेट में गर्म किया जाता है तथा फिर से 50 डिग्री सेल्सियस पर वर्ष तथा 30 डिग्री सेल्सियस पर हवस के बीच भट्टी को बंद कर 600 डिग्री तक गर्म किया जाता है पहुंचने के बाद जाता है तथा उसके बाद से बाहर निकालकर बिना कोई आगे रूप में किया जाता है 1 से 200 तक आता है बदल जाती है।      यदि अनिल in-process सिंपल को निर्वात अथवा इनर्ट गैस वातावरण में गर्म किया जाता है तो इस्पात सत्ता चमकदार रहती है या प्रक्रम ब्राइट अनिल इन कहलाता है आइसोथर्मल अनिल में इस्पात को 727 डिग्री सेल्सियस से 550 डिग्री सेल्सियस तक तेजी से ठंडा किया जाता है तथा इस तापमान पर कुछ घंटे रखा जाता है ताकि पूरा ऑस्टेनाइट नाइट लाइफ में परिवर्तित हो जा सके फिर एयर कूलिंग बाहर की जाती है इस प्रकार अनिल क्रिया पूर्ण हो जाती है।  नॉर्मलाइजिंग - इस क्रिया में सैंपल को अनि लिंग की भांति ही भर्ती में गर्म किया जाता है तथा फिर शांत वायु में ठंडक जाता है ताकि भर्ती में ठंडा होने की तुलना में ठंडा होने की दर अधिक उच्च

अलौह धातु पदार्थ

इन धातु पदार्थों में लोहे की मात्रा बिल्कुल नहीं होती है कुछ परिस्थितियों में केवल अलौह धातु का ही प्रयोग किया जाता है इनका प्रयोग उनकी विशेष गुड जैसे जनविरोधी कमर निम्न अपेक्षित भारत उच्च विद्युत तथा उस्मा चालकता तथा निम्न करना आदि के कारण होता है प्रमुख धातुएं जैसे तांबा एलमुनियम 3 शीशा तथा जिंक इत्यादि मिश्र धातु जैसे पीतल कांसा गनमेटल आदि है जो अधिक प्रयोग की जाती है ।

लौह धातुए

ये अधिक उपयोगी घातुए है । लोहे में कार्बन तथा अन्य तत्व मिलाने पर लव धातु प्राप्त होते हैं प्रमुख लौह धातु पदार्थ निम्न प्रकार है - ढलवा लोहा, ग्रे कास्ट आईरन स्वेद कास्ट नेम मैं लेबर कास्ट आयरन पिटवा लोहा इस्पात  आदि। इस्पात विभिन्न प्रकार के होते हैं जैसे        मृत्युंजय दुश्वार कार्बन इस्पात मध्यम कारण इस पर उच्च कार्बन इस पर तथा मिश्र धातु इस्पात।